मित्रों , समय की पुकार है कि अब हमें आ ही जाना चाहिए इस संसार में जीने योग्य बहुत कुछ है लेकिन वो हमें मिल ही जाय ये आवश्यक नहीं है। हम अपने चारों ओर देखते हैं, एक अजीब सी खामोशी और कशिश दिखाई देती है, हर आदमी कुछ खोज रहा है लेकिन आश्चर्य की उसे पता ही नहीं की उसे क्या चाहिए जो वह पताहै उससे वो संतुष्ट नहीं होता क्योंकि उसकी तलाश उसे पता ही नहीं है, फ़िर भी वो चला जा रहा है और खोज रहा है, कहीं कोई ठहराव नहीं है। बिना जाने कुछ भी करते जाना भारतीय दर्शन में सिखाया जाता है, क्योंकि हमारी परम्परा कह रही है कि अपनी सब इन्द्रियां बंद करके गुरु कि बात पर विश्वास करो वाही तुम्हें सही मार्ग दिखायेंगे लेकिन जब गुरु को ही अपनी मंजिल का पता न हो तो किसका लछ्य कैसा लछ्य, यही हो रहा है, इसलिए ही हमारा देश सामाजिक रूप से भटकाव का शिकार है, इसे बचा लो। अपनी पूरी छमता के साथ चलो उठो ये मिलने का समय है।
आपका मित्र , मनोज अनुरागी
कांटेक्ट - ०९७६०२००६४७
Friday, June 26, 2009
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