मित्रो, बहुत दिन हुए आपसे कुछ बातें करने को जी चाहता था, आज हम देख रहे हैं, किहमारा समाज किस अंधे कुँए में धंसता जा रहा है, चारों ओर एक भयावहता विधमान है, समलिंगी मुखर हो रहे हैं। सेक्स ने कैसा वीभत्स रूप धारण कर रखा है, समलिंगी अपने समर्थन में भीड़ जुटाने में कामयाब हो रहे हैं, कल को भाई-बहन की शादी करने के लिए समर्थन जुटाया जाएगा और लोग आ भी जायेंगे , क्योंकि अब सामाजिक मूल्यों कि बात करने वाले नेपथ्य में चले गए हैं और मूर्खों ने समाज सत्ता और बुधिजीविता पर कब्जा कर रखा है, कल को ये समलिंगी जानवरों के साथ भी सेक्स करने को वैध ठहराने लगेंगे और तर्क तो वहां भी मिल जायेंगे, समाज हमेशा ऐसे कुबुधियों से दो चार होता रहा है, लेकिन अब इसका रूप अलग हो गया है, अब तो जागो ऋषियों के वन्सजो मिटने का समय आ गया है, शेष फ़िर कहेंगे -----
मनोज अनुरागी
Wednesday, August 5, 2009
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